ईएसडीएम

भारत इलेक्ट्रॉनिकी का एक तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है। वर्ष 2020 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर की माँग का अनुमान लगाया गया है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी नीति 2012 आरम्भ की है जिसका विजन इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए भारत को देशीय के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए वैश्विक रूप में प्रतिस्पर्धी गन्तव्य बनाना है। इस नीति के उद्देश्यों में ईएसडीएम के क्षेत्र में कुशल जनशक्ति की उपलब्धता में भारी अभिवृद्धि शामिल है। इसके अलावा, भारत में बड़ी संख्या में मेधा तथा कम कीमत की मजदूरी उपलब्ध है।

राष्ट्रीय कुशलता विकास नीति, जिसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक 500 मिलियन व्यक्तियों को कुशलता प्रदान करना है, ने इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए वर्ष 2022 तक इलेक्ट्रॉनिकी तथा आईसीटी के डोमेन में 10 मिलियन व्यक्तियों को कुशलता प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

एनपीई 2012 में विभिन्न स्तरों पर लगभग 28 मिलियन व्यक्तियों के रोजगार की अभिकल्पना की गई है। इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के क्षेत्र में आईटीआई स्नातकों, डिप्लोमा धारकों, आदि के लिए भारी संख्या में रोजगार की संभावनाएँ हैं। इसके अलावा, समुचित प्रशिक्षण के साथ अर्ध-कुशल व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हो सकता है/रोजगार योग्यता के लिए तैयार किया जा सकता है। लेकिन, औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही क्षेत्रों में वर्तमान शिक्षण/कुशलता विकास प्रणाली ईएसडीएम क्षेत्र की उदीयमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप में तैयार नहीं है। अतः सरकार के लिए कुशलता प्रदानकर्ताओं (सार्वजनिक तथा निजी दोनों ही डोमेनों में) की संख्या में बढ़ोतरी करने की दिशा में हस्तक्षेप करने तथा एक समर्थक वातावरण तैयार करने की जरूरत है जिससे ईएसडीएम क्षेत्र के लिए मानव संसाधन की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने ईएसडीएम क्षेत्र में कुशलता विकास की सुविधा प्रदान करने के लिए दो योजनाएँ आरम्भ की हैं जिनमें विद्यार्थियों/9-10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों, आईटीआई, डिप्लोमा, गैर-इंजीनियरी स्नातकों, बेरोजगार युवाओं, आदि (एनवीईक्यूई के अनुरूप) पर ध्यान दिया गया है जिससे ‘विनिर्माण’ तथा ‘सेवा सहायता’ कार्यकलापों में कार्य करने के लिए उनकी रोजगार योग्यता में वृद्धि की जा सके। ये योजनाएँ साथ-साथ चलेंगी और इस प्रकार हैं :

  • इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) क्षेत्र में कुशलता विकास के लिए 06 (छह) चुनिन्दा राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता की योजना।
  • डिजिटल भारत के लिए ईएसडीएम में कुशलता विकास (देश के शेष भाग के लिए)

ये योजनाएँ एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य देश में ईएसडीएम के क्षेत्र में कुशलता विकास की एक आर्थिक-प्रणाली के सृजन की सुविधा प्रदान करना है जिससे इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं :

  • इन योजनाओं में सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के 4,18,000 विद्यार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य है।
  • कुल सहायता अनुदान 455 करोड़ रु. है तथा दोनों योजनाओं के लिए कुल परिव्यय (लगभग) 524 करोड़ रु. है।
  • योजनाएँ चार वर्षों के लिए लागू रहेंगी।​
  • निम्नलिखित में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी :
  • नौवीं/दसवीं कक्षा तथा उससे आगे
  • आईटीआई
  • पॉलीटेकनिक
  • स्नातक पूर्व (गैर-इंजीनियरी)
  1. बेरोजगार युवा (सूचक सूची)
  • आठवीं कक्षा के पश्चात पढ़ाई छोड़ दिए विद्यार्थी
  • आईटीआई प्रमाण-पत्र धारक
  • डिप्लोमा धारक
  • स्नातक (गैर-इंजीनियरी)
  • रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत उम्मीदवार
  • अनौपचारिक क्षेत्र में बेरोजगार व्यक्ति

कुशलता-वार लक्ष्य :

  निम्न स्तर की कुशलताएँ मध्यम स्तर की कुशलताएँ उच्चतर स्तर की कुशलताएँ

स्तर

अकुशल

(L1-L2)

अर्ध-कुशल

(L3)

पर्यवेक्षक

(L4)

मास्टर तकनीशियन/ प्रशिक्षक (L5)

समकक्षता

IX-X श्रेणी.

आईटीआई

डिप्लोमा

डिप्लोमा-पश्चात

प्रवेश

आठवीं पास

10वीं पास

10वीं + आईटीआई, 12वीं पास, अन्य स्नातक (गैर- विज्ञान)

डिप्लोमा, बीएससी

पाठ्यक्रम की अवधि (एनवीईक्यूएफ/एनएसक्यूएफ के अनुसरण में नाइलिट/एसएससी द्वारा निर्धारित की जानी है)

3 माह

(~200-250 घंटे)*

6 माह

(~350 घंटे)*

6 माह

 (~350 घंटे)*

6 माह

 (~400 घंटे)*

* घंटों की संख्या एनवीईक्यूएफ में बताई गई आवश्यकता के अनुसार सूचक हैं

जो राज्य/संघ शासित प्रदेश अपने लक्ष्य से कम निष्पादन करेंगे उनसे उतना घटाकर अपना लक्ष्य हासिल कर लेने वाले दूसरे राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लक्ष्य में उसे जोड़कर बढ़ोतरी की जाएगी (समग्र लक्ष्य/बजट परिव्यय के अन्दर)।

वित्तीय सहायता :

  • विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम शुल्क के 75% की दर से सहायता (प्रत्येक स्तर के लिए निश्चित किया जाएगा)। नाइलिट या एसएससी या एसएससी से मान्यता प्राप्त किसी प्रमाणन निकाय द्वारा प्रमाणन परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद ही सहायता प्रदान की जाएगी।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति, आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों (मानदण्ड आधारित) के विद्यार्थियों के मामले में पाठ्यक्रम शुल्क के 100% की दर से सहायता। इन श्रेणियों के विद्यार्थियों के लिए 40% सीटें आरक्षित की जाएंगी।
  • पंजीकरण-एवं-प्रमाणन शुल्क के मामले में 100% सहायता जिसकी प्रतिपूर्ति नाइलिट/एसएससी से मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा की जाएगी।
  • कार्यान्वयन एजेंसी को कुशलता सहायता के 10% की दर से ऊपरी व्यय एवं प्लेसमेंट सहायता।

कार्यान्वयन एवं मानीटरिंग :

इन योजनाओं का कार्यान्वयन राज्यों द्वारा राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से किया जाएगा जो राज्य स्तर पर योजनाओं का समन्वय करेंगी। योजनाओं का कार्यान्वयन पूरे देश में तीन मुख्य कार्यान्वयन एजेंसियों अर्थात नाइलिट, भारतीय इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र कुशलता परिषद (ईएसएससीआई) तथा दूरसंचार क्षेत्र कुशलता परिषद (टीएसएससी) में से किसी भी एजेंसी के पैनल में शामिल प्रशिक्षण भागीदारों की सहायता से किया जाएगा। 

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